मंगलवार, 19 जनवरी 2010

क्रांति दूत-अरविन्द झा "चिट्ठाकार चर्चा"( ललित शर्मा )

कल हमने चिट्ठाकार चर्चा प्रारंभ की है. इसका उद्देश्य हमने आपके सामने रखा और इसे पाठकों का भरपूर आशीष प्राप्त हुआ. नए चिट्ठाकारों के साथ जो चिट्ठाकार साथी ब्लाग जगत को निरंतर अपने उत्कृष्ट लेखन से समृद्ध कर रहे है. उनके विषय में भी चर्चा की जाएगी. जिन चिट्ठाकारों की प्रोफाईल संदिग्ध है. उनकी चर्चा करने से मै बचना चाहूँगा, इसमें नए पुराने का कोई भेद नहीं है. व्यस्तता के कारण चिट्ठाकार चर्चा प्रतिदिन होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है. इसलिए इसे सप्ताह में दो या तीन दिन करने का विचार है.

मै ललित शर्मा आज की चर्चा में शामिल चिट्ठाकार  अरविन्द झा जी. से आपकी एक मुलाकात कराता हूँ  इनका चिटठा क्रांति दूत सितम्बर माह में ब्लाग जगत में आया है.  गद्य और कविता के माध्यम से सामाजिक सरोकारों से जुडी समस्यों पर अपनी लेखनी से प्रहार करते हैं. इनकी कहानियां भी चिट्ठे पर नजर आती है. जिसमे प्रतीकों के माध्यम से सामाजिक विकृतियों को प्रस्तुत करते हैं. अब हम अरविंद झा जी की व्यक्तिगत जानकारियों पर चलते है. 



अरविन्द  झा 


इन्होने प्रथम पोस्ट पर प्रकाशन दिनांक नहीं है. लेकिन दूसरी पोस्ट Monday, October 5, 2009 का  दिन और दिनांक  बता रही है. पढ़िए अरविंद झा जी की पहली पोस्ट.
ईशारा

ये मौत भी,
मेरे ही ईशारों पर हुई है.
छल किया था,
धोखा दिया था उसने.
मैने उसे समझाया,
चेतावनी दिया,
अपनी गलतियों से बाज आए.
बहुत उपर तक पहुंच है मेरी.
एक अद्रुश्य शक्ति के समक्ष,
जो स्रुष्टि का निर्माता भी है
और चलाता भी है.
मैने क्षमा न करने
और न्याय पाने की
मौन स्वीक्रुति दे दी.
ये मौत भी,
मेरे ही ईशारों पर हुई है.

इन्होने जंगल राज नामक एक कहानी प्रकाशित की है.उस पर भी दृष्टिपात करते हैं.

जंगल-राज

जंगल-राज
प्रजातंत्र हो जाने के बाद यहां जंगल मे भी राज चलाना काफ़ी कठिन हो गया है.उपर से राजनीति भी जोरों पर है.अभी हाल ही मे आम चुनाव हुए थे जिसमे शेर की पार्टी ने हाथी के दल को पटखनी दी और पुर्ण बहुमत लेकर सत्तासीन हुई.लम्बे-चौडे वादे किये गये.भेडों-बकडों के समुह को यह कहकर वोट मांगा गया कि शेर अब उसका शिकार नही करेंगे.मछलियों से वादा किया गया कि मगरमच्छों से उनकी रक्षा की जायेगी.छोटे-छोटे जानवरों को विश्वास दिलाय गया कि सस्ते दरों पर उन्हे चारा उपलब्ध कराये जायेंगे.किसी भी पशु-पक्षी को बेरोजगार नही रहने दिया जायेगा और सारे फ़ैसले जानवरों के हितों को ध्यान मे रखकर लिया जायेगा.हाथी के दल ने भी कुछ मिलते-जुलते वादे ही किये थे लेकिन अंततः पशुमत शेर की पार्टी के पक्ष मे रहा.हाथी को विपक्ष का नेता चुना गया और शेर की सरकार बनी.सियारों को प्रमुख मन्त्रालय दिये गये----क्योंकि चुनाव के दौरान उन्ही की ब्युहरचना और लिखे गये भाषण काम आये थे.

रात के बारह बज चुके थे.काम करते करते शेर थक चुका था.वह बहुत भूखा था.मिडियावालों के साथ यह कहते हुए वह खाना नही खाय था कि उसने मांसाहार छोड दिया है.दिन के सर्वदलीय भोज मे पनीर की सब्जी जो उसे पसन्द नही है,यह बहान बनाकर नही खाया था कि आज उसे उपवास है.राजनीति का मतलब यह नही होत कि राज करनेवाला भूखा रहे और बांकी सभी मौज करें.उसे सियारों की यह राजनीति पसंद नही आयी.तभी एक सियार शेर के पास आया और भोजन-गृह मे पधारने का अनुरोध किया.सभी जानवर अपने-अपने घरों मे चले गये.शेर का भोजन-गृह जो कि एक अंधेरी गुफ़ा की तरह था-मे शेर प्रवेश कर गया.गुफ़ा मे घुसते ही स्वादिष्ट खाने का गंध उसकी नाक तक पहुंचने लगा.डरी हुई कई छोटी-छोटी निरीह आंखे अंधेरी गुफ़ा मे भी चमक रही थी.शेर मुस्कुराने लगा---अब उसे राजनीति अच्छा लगने लगा था. 


पुरी कहानी पढ़ने के लिए ब्लॉग पर जाएँ.

अब चिट्ठाकार चर्चा को मै देता हूँ विराम-आप सभी को ललित शर्मा का राम-राम

11 टिप्पणियाँ:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

बहुत सुन्दर, अरविन्द झा जी को शुभकामनाये ! और आपसे एक गुजारिश ( कृपया अन्यथा न लें ) कि चिठ्ठाकार के
परिचय में "लिंग" का उल्लेख न करे , बड़ा अजीब सा लगता है पढने में जब लिखा मिलता है "लिंग: पुरुष"

Murari Pareek ने कहा…

वाह!! इनका जंगल राज तो सचमुच सराहनीय है किस तरह से लालचवश विचार बदलजाते है !!! बहुत सुन्दर !!अरविन्द झा जी को शुभकामनाये

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

वाह ....!
इस नये प्रयोग के लिए आपके श्रम को नमन!
अरविन्द झा से मिलकर अच्छा लगा!

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

आपका प्रयास स्‍तुतनीय है। बधाई।

Randhir Singh Suman ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

मनोज कुमार ने कहा…

सादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।

राजीव तनेजा ने कहा…

चिट्ठाकार चर्चा का ये आँका बहुत बढ़िया लगा...अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत सुन्दर, अरविन्द झा जी को शुभकामनाये । सुन्दर प्रयास शुभकामनायें

अजय कुमार झा ने कहा…

अरविंद झाजी को बहुत बहुत शुभकामनाएं , और आपका आभार उनसे ब्लोगजगत का परिचय करवाने के लिए
अजय कुमार झा

Himanshu Pandey ने कहा…

अरविंद जी को शुभकामनायें । आपकी इस चर्चा से निश्चित ही प्रोत्साहित होंगे चिट्ठाकार ।
आभार ।