रविवार, 31 जनवरी 2010

तोषी-वूजूद की तलाश में “चिट्ठाकार-चर्चा” (ललित शर्मा)

हमारा छत्तीसगढ़ प्रतिभाओं से लबालब भरा हुआ है. यहाँ किसी चीज की कमी नहीं है. बहुमुल्य रत्नो खनिजों से लेकर योग्य प्रति्भाओं तक्। सब कुछ है, पर कु्छ वर्षों से पिछ्ड़े होने का ठप्पा लगा दिया गया है. लेकिन छत्तीसगढिया पिछड़ा कहीं से नहीं है. प्रत्येक कार्य में अपनी कुशलता और प्रतिभा का परिचय अवश्य ही देता है. नई विधाओं में भी इन्होने हाथ अजमाया है. यह देखने में आया है ब्लागिंग के क्षेत्र में. इस क्षेत्र में भी छत्तीसगढ़ियों ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. पुराने (सीनियर)  ब्लागरों की छत्र-छाया में नए ब्लागर भी पनप रहे हैं तथा उनका भरपूर स्नेह के साथ मार्ग दर्शन भी दिया जा रहा है. मै सीनियर ब्लागरों को प्रणाम करता हूँ तथा मैं ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज की चिट्ठाकार चर्चापर......................
हमारी आज की चिट्ठाकार चर्चा में शामिल ब्लागर हैं तोषी गुप्ता जी. शिक्षा के क्षेत्र से जुडी हैं. इन्होने अभी ब्लाग पर कम ही लिखा है लेकिन ज्वलंत विषयों की समझ रखती है. अपने विचार स्पष्ट रूप से रखती है.इनके ब्लाग का नाम है तोषी-वुजूद की तलाश में. इनकी पहली पोस्ट तोषी गुरुवार १३नवम्बर २००८ की है. जिसमे अपने नाम के शब्दार्थ बताती हैं.
तोषी अपनी प्रोफाईल पर लिखती हैं........

toshi gupta

मेरे बारे में

....स्कूल में थी जब अपनी भावनाओ को डायरी के पन्नो में सहेज कर रखती थी, पन्ने भरते गए और इधर ज़िन्दगी पन्ने भी बदलते गए,...फिर अपने दिल कि बातो को प्रिंट एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यमो से लोंगो तक पहुचाती रही...फिर जिंदगी के मायने ही बदल गए... फिर लगा ज़िन्दगी रूक सी गई है...थम सी गई है..पता चला मै अपनी प्यारी सखी, अपनी डायरी से दूर जो हो गई हू...पीछे पलट कर देखा, ऐसा लगा मेरी प्यारी सखी मेरा अभी तक इंतज़ार कर रही है.दौड़कर उसका हाथ थाम लिया,ज़िन्दगी भर साथ निभाने के वायदे के साथ...इस ब्लॉग "तोषी" के माध्यम से...
इनकी पहली पोस्ट

toshi

"toshi'..........toshi means
1.........happiness giver................(in my knowledge)
2......... "A M R I T" in hindi (holy water in english)!!!
3......... means mirror image in urdu it means a person who is loved by every one
4..........means profit in hindi its munafa
5.......... meaning as "A feeling of self sufficiency" In other words Content.
6..........means "Treasure".....
7..........means : "S A T I S F A C T I O N".
8.......... TOSHI comes from the Sanskrit word "Tusht" which means Satisfaction...so Toshi would be a person who is satisfied with what he/she has...
dont know what is the actual meaning but sure abt ....toshi.......
i want 2 do something very special and unique in my life coz i think i am very special and unique so i must do very special and unique.......................................
sometimes situations may be very opposite but i never fell down,and i know very well that i will achieve my goal...........................................
yes........i can do what i want to do..................................................
hey,one more thing which is more important abt me that is......................
I Am What i AM......and.....................I don care what peaple think abt me..............................

इनकी अद्यतन पोस्ट

मंगलवार, २६ जनवरी २०१०


मीडिया में नारी शोषण ....................
नारी कुदरत क़ी बनाई अनिवार्य रचना है ,जिसके उत्थान हेतु समाज के बुद्धिजीवी वर्ग ने सतत संघर्ष किया है। आज क़ी बहुमुखी प्रतिभाशील नारी उसी सतत प्रयास का परिणाम है। आज नारी ने हर क्षेत्र में अपना प्रभुत्व कायम किया है, चाहे वह शासकीय क्षेत्र हो या सामाजिक, घर हो या कोर्ट कचहरी , डाक्टर, इंजिनीयर, अथवा सेना का क्षेत्र, जो क्षेत्र पहले सिर्फ पुरुषो के आधिपत्य माने जाते थे, उनमे स्त्रियों क़ी भागीदारी प्रशंसा का विषय है। इसी तरह प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया भी स्त्रीयों क़ी भागीदारी से अछूता नहीं है ।
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया समाज के दर्पण होते है, जिसमे समाज अपना अक्श देखकर आत्मावलोकन कर सकता है । पिछले कई वर्षो से मीडिया में नारी क़ी भूमिका सोचनीय होती जा रही है। आज प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया जिस तरह नारी क़ी अस्मिता को भुना रहा है, वह जाने - अनजाने समाज को एक अंतहीन गर्त क़ी ओर धकेलते जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह है क़ी आज नारी ऊँचे से ऊँचे ओहदे या प्रोफेशन में कार्यरत क्यों ना हो वह सदैव एक अनजाने भय से ग्रसित रहती है। क्या है ये अनजाना भय ? निश्चित रूप से यह केवल उसके नारी होने का भय है जो हर समय उसे असुरक्षित होने का अहसास दिलाता रहता है। आलम यह है क़ी आज नारी घर क़ी चारदीवारी में भी अपनी अस्मिता बचने में अक्षम है।

अब चिट्ठाकार चर्चा को देता हूँ विराम- आप सभी को ललित शर्मा का राम-राम

बुधवार, 27 जनवरी 2010

उर्जावान चिट्ठाकार नवीन प्रकाश-"चिट्ठाकार-चर्चा" (ललित शर्मा)

कल २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस भारतवासियों द्वारा धूम धाम से मनाया गया. हम क्यों पीछे रहते प्रतिवर्षानुसार हमने भी मनाया.सैकड़ों जगह के निमंत्रण थे, लेकिन कुछ ही जगह उपस्थित हो सके. बच्चों पुरे उत्साह के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये.नन्हे-मुन्ने निश्छल मासूमो के बीच बहुत आनंद आया, गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में शामिल होना था इसलिए चिट्ठाकार चर्चा से एक दिन विराम लिया था. आज पुन: उसी उर्जा के साथ हम पहुँच गए हैं चिट्ठाकार चर्चा करने के लिए. चलिए मै ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज की चिट्ठाकार चर्चा पर.................
हमारे आज के चिट्ठाकार छत्तीसगढ़ से हैं. दिन में कभी ४-४ पोस्ट भी लगा देते हैं तथा अपने तकनीकि ज्ञान से ब्लाग जगत को समृद्ध कर रहे है. कंप्यूटर से सम्बंधित नयी-नयी जानकारियाँ ढूढ़ लाते हैं और हम तक पहुंचाते है. बहुत ही उर्जावान युवा हैं, मै बात कर रहा हूँ हिंदी टेक ब्लाग वाले नवीन प्रकाश जी की. इन्होने अपनी पहली पोस्ट २४ अगस्त २००९ को १२.३२ को प्रकाशित हुयी.इसके बाद ये सिलसिला जो शुरू हुआ निरंतर चल रहा है. २००९ में ४१३ पोस्ट तथा मेरे लिखते तक २०१० में ४७ पोस्ट लिख चुके हैं. इन पॉँच महीनो में इनकी ५०० पोस्ट पूरी होने वाली है.हम इन्हें बधाई देतेहै.

नवीन प्रकाश जी अपनी ब्लागर प्रोफ़ाईल पर बहुत कम शब्दों मे अपना परिचय देते हैं।


नवीन प्रकाश

      About Me
      बस एक कोशिश है जो थोडी बहुत जानकारियां मुझे है चाहता हूँ की आप सभी के साथ बांटी जाए। आप मुझे मेल भी कर सकते है hinditechblog@gmail.com
      Favorite Movies

      • Matrix A Wednesday

      इनकी पहली पोस्ट


      Hindi Tech Blog

      at 12:32 PM
      1 comments
      बस एक शुरुवात है जो थोडी बहुत जानकारिया मुझे है चाहता हु की आप सभी के साथ बाटी जाए .

      अद्यतन पोस्ट


      दो एक्स्प्लोरर एक साथ

      at 4:00 PM Labels: डेस्कटॉप
      2 comments

      आपके विंडोज एक्स्प्लोरर का एक बेहतर विकल्प जी आपको एक साथ दो एक्स्प्लोरर उपयोग करने की सुविधा देता है । अब आप ज्यादा आसानी से अपने फाइल और फोल्डर को कॉपी पेस्ट कर पायेंगे बार बार एक एक्स्प्लोरर विंडो से दुसरेविंडो पर जाने की जरुरत नहीं ।
      अब चर्चा को देते हैं विराम-सभी को ललित शर्मा का राम-राम

      मंगलवार, 26 जनवरी 2010

      आज दिया है चर्चा को विराम-सभी भारतवासियों को 26जनवरी की राम-राम

      आज दिया है चर्चा को विराम-सभी भारत वासियों को 26जनवरी की राम-राम
      ढेर सारी शु्भकामनाएं=आओ सब भारत वासी तिरंगा झंडा फ़हराएं
      मित्र पदम सिंग ने झांकियों के कुछ चित्र भेजे हैं उनका आनंद लिजिए



       

       

       

       

       

       

       

       

       



      सोमवार, 25 जनवरी 2010

      राकेश जाज्वल्य चिट्ठाकार-चर्चा मे-- (ललित शर्मा)

      कल २४ जनवरी को छत्तीसगढ़ के ब्लोगर रायपुर में मिले. सभी का एक दुसरे से रु-ब-रु परिचय हुआ. बहुत आनंद आया. आज ब्लाग जगत लोकतंत्र का पांचवां खम्बा बनने जा रहा है. ब्लाग जगत के सामने क्या चुनौतियाँ होंगी? भविष्य में तथा इसका निराकरण क्या होगा?. एक ब्लागर की जिम्मेदारियां क्या हैं? देश और समाज के सामने, इस पर गहन चिंतन करना है. आगे होने वाली बैठकों में. यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है. इस पर विचार कर समाधान ढूँढना अत्यावश्यक है. ब्लाग जगत मौज लेने की जगह नहीं है. इसका सार्थक उपयोग करना आवश्यक है. अब मै ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज की चिट्ठाकार-चर्चा पर..........
      हमारे आज के चिट्ठाकार हैं जांजगीर (छत्तीसगढ़ ) निवासी चिट्ठाकार राकेश जाज्वल्य. इनके ब्लाग का नाम राकेश  जाज्वल्य है. इस ब्लाग पर राकेश जी अपनी कवितायेँ लिखते हैं. राकेश जी ब्लाग जगत में मई २००९ से हैं तथा सक्रिय ब्लोगर हैं. जो कविताओं,गजल के माध्यम से अपनी बात कहते हैं. मन के सागर में उमड़ती घुमड़ती विचारों की लहरों को लेखनी के माध्यम से धरातल पर उतारते हैं. हम चिट्ठाकार चर्चा में इनका स्वागत करतेहैं.
      राकेश जी अपनी प्रोफाइल पर कुछ इस तरह अपने विषय में कहते हैं.

      RAKESH JAJVALYA

      मेरे बारे में

      कविताओं के माध्यम से खुद को जानने - पहचानने की प्रक्रिया भी जारी है ........

      रुचि

      पसंदीदा मूवी्स


      गुरुवार २८ मई २००९ को इनकी पहली पोस्ट............

       

      बचपन है नींदें है



      Rakesh

      राकेश जी की अद्यतन पोस्ट बुधवार 20 जनवरी 2010

      rakesh1

      अब देते हैं चिट्ठाकार-चर्चा को विराम-सभी को ललित शर्मा का राम राम

      रविवार, 24 जनवरी 2010

      मिलिए अजय लाहुली से-चिट्ठाकार-चर्चा (ललित शर्मा)

      अभी कुछ दिन पहले एक ब्लाग पर मेरी नजर पड़ी उसका नाम मुझे सुना हुआ लगा तो जिज्ञासा वश उस ब्लाग पर गया तो अद्भुत नजारा पाया. वह ब्लाग प्रकृति के चित्रों और नजारों से भरा हुआ था.बड़ा ही आनंद आया जैसे मै स्वयं ही  वहां पहुंच गया हुँ। इस ब्लाग का नाम है लाहुली तथा यह नाम मैने फ़िल्म "माला माल विकली" मे परेश रावल के मुंह से सुना था। मुझे ऐसा लगा कि यह ब्लाग दुसरी दुनिया के वासी का है। जहां से हम परिचित नही है.यह ब्लाग अजय लाहुली का है। ये चिट्ठा जगत मे अक्तुबर 2009 के अंतिम सप्ताह मे आए है। मै ललित शर्मा आपको ले चलता हुँ “चिट्ठाकार चर्चा” पर और सैर करते है लाहुली जैसे स्वर्ग की और जानते है वहां की संस्कृति एवं त्योहार ।

      अजय लाहुली अपनी ब्लागर प्रोफ़ाईल पर निम्न जानकारी देते हैं


      अजय लाहुलीlahuli

      इनकी प्रथम पोस्ट चित्रों से भरी हुयी है-आप भी देखिए

      (रास्ते से बर्फ़ सफ़ाई)

      ajay lahuli 1
      बर्फ जब पड़ती है तो दूर-दूर तक कुछ ऐसे चमक बिखरती है हर तरफ़ झक सफ़ेद।
      ajay lahuli3

      हमाले खेत की मूली-आईए खाईए
      ajay lahuli 6

      इनकी अद्यतन पोस्ट मे त्योहारों की जानकारी

      आप सबको 2010 हालडा,लोसर व खोगल की शुभकामनाएँ 

      लोसर, हालडा या खोगल लाहुल में सर्दियों में मनाया जाने वाला वर्ष का पहला पर्व या उत्सव है. इस आयोजन के ajay lahuli 7 बाद सर्दी खत्म होते तक अलग-अलग गाँव में अलग-अलग उत्सवों का दौर शुरू हो जाता है. लाहुल-स्पीति क्षेत्रफल के लिहाज से हिमाचल का सबसे बड़ा जिला है लेकिन आबादी सबसे कम (दो व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर). भाषा व बोलियों की विविधता के साथ सांस्कृतिक विविधता के बीच कुछ आयोजन ऐसे हैं जो पूरे लाहुल का सांझा आयोजन है. हालडा पर्व उन्ही में एक है. बौद्ध व हिन्दू आबादी वाले इस जिले में गाहर, पट्टन (चंग्सा, लोकसा,स्वान्गला/रेऊफा), तिनन, तोद, रंगलो, पतनम (म्याड), पिति (स्पीति), पंगवाली ( तिंदी), चिनाली व लोहार की भाषा-बोलियाँ हैं. तोद, रंगलो, पतनम (म्याड), पिति (स्पीति) की भाषा में समानता है,चंग्सा, लोकसा,स्वान्गला/रेऊफा बोली एक जैसे है, कुछ शब्दों को छोड़ दें तो फर्क सिर्फ लहजे व उच्चारण का है. भागा नदी के किनारे बसने वाली गाहर व तोद एक दुसरे के करीब होते हुए भी भाषा व बोली की दृष्टि से जुड़े नहीं हैं. चंद्रा नदी के किनारे की तिनन की आबादी रंगलो से अलग है. चंद्रा-भागा (चिनाब) के दोनों और पट्टन (चंग्सा, लोकसा,स्वान्गला/रेऊफा) की बोली में बहुत अधिक समानता है. लहजे व उच्चारण से अनुमान लग जाता है कि किस क्षेत्र से सम्बन्धित है

      गाहर 

      गाहर में हालडा 24 जनवरी को है. हालडा देवदार की लकड़ी को छोटे-छोटे चीर कर लकड़ी का गट्ठर बना कर ajay lahuli 8 तैयार होता है. बौद्ध पंचांग के अनुसार हालडा फाड़ने व तैयार करने के लिए उपयुक्त राशि के जातक का चयन किया जाता है. हालडा तैयार कर घर में पूजा के स्थान पर रखा जाता है. हालडा घर से रात को बाहर निकालने का समय भी पंचांग से ही तय होता है. हालडा फेंकने वाले घर के पुरुष सदस्य पारंपरिक भेष-भूषा में होते हैं तथा सर पर टोपी में गर्मियों में सहज कर रखे फूल पहनते हैं. घर में कई प्रकार के व्यंजन बनते हैं. हालडा निकालने से पूर्व घरों में कुल-देवता की पूजा होती है. भुने हुए जो से बने सत्तू का 'केन' बना कर उसमें घी डाला जाता है. केन व अरग या छंग ( देसी शराब) का कुल देवता को भोग लगाया जाता है. एक कप में केन डाल कर उसमे देवदार की हरी पत्ती लगते हैं. ये हालडा फेंकने वाला सदस्य अपने साथ ले जाता है. हल्डा को देवदार की हरी-सूखी पत्तियों व फूल से सवांरा जाता है. परिवार के सभी सदस्यों के सर पर खुशहाली व समृद्ध के प्रतीक के तौर पर घी का टिका लगाया जाता है. निश्चित अवधि के बाद हालडा को चूहले से जला कर घर से बाहर निकाला जाता है. ग्रामीण कतार में हल्डा को थामते हुए नगाड़े के साथ चलते हैं तथा गाँव के सीमा से दूर निर्धारित स्थल पर पूरे गाँव के हाल्ड़े को एक स्थान पर जलाते हैं.
      ajay lahuli 9
      अब चिट्ठाकार-चर्चा को देते है विराम-आपको ललित शर्मा का राम-राम

      शनिवार, 23 जनवरी 2010

      प्रख्यात रंगकर्मी रचनाकार-बाल कृष्ण अय्यर-“चिट्ठाकार चर्चा” (ललित शर्मा)

      सेन्सेक्स लुढक गया है सोने मे गिरावट है और डालर मे तेजी, गरीब की दाल रोटी मंहगी हो रही है। सोना सस्ता हो जाए तो भी सबसे पहले दाल रोटी की ही जरुरत पड़ेगी। हमारे यहाँ एक बिजली मिस्त्री है जो पहले अपनी मे्हनत से अच्छी कमाई कर लेता था तथा हफ़्ते के सातों दिन पीकर मस्त रहता था। लेकिन कल मिला तो बोला महाराज कमाई तो उतना ही लेकिन पीआई कम हो गया है क्योंकि राशन का खर्च बढ गया है अब तो हफ़्ते मे एकाध बार पार्टी हो गयी तो ठीक नही तो उसका भी ठिकाना नही है। अब इस मंहगाई ने सबका बाजा बजा दिया है इससे शेयर बाजार का सांड भी भन्नाया हुआ है इसलिए सांड से बचना जरुरी है अब मै ललित शर्मा चलता हुँ "चिट्ठाकार चर्चा" पर..............................
      "चिट्ठाकार चर्चा" में शामिल हमारे आज के चिट्ठाकार हैं प्रख्यात रंग कर्मी और नाट्य निर्देशक श्री बाल कृष्ण अय्यर जी.अपने नाटकों के माध्यम से समाज में हो रहे बदलाव तथा उसमे पनप रही विकृतियों को सामने लाते हैं. जीवन की आप-धापी के बीच पारिवारिक संबंधों में पनप रही असहयोग की भावना एवं परिवार के बीच आपस में बढ़ रही दूरियों को नाटकों के माध्यम से प्रदर्शित करते हैं. नाटक इनका जूनून है साथ ही नाटकों की पट कथा लेखन के साथ  आलेख एवं कवितों के माध्यम से मनोभावों का चित्रण करते है. चिटठा जगत में में इनकी उपस्थिती अक्तूबर २००८ से है. लेकिन ब्लाग पर कभी सक्रीय नहीं दिखाई दिये. लेकिन २००९ के आखरी महीनो में इनके ब्लाग IYER : EXPRESSIONS पर  सक्रियता नजर आई. इनका एक और ब्लाग यात्रा - एक यायावर का सफर् है इस पर भी इन्होने अक्तूबर 2009 लेखन कार्य प्रारंभ किया. आप चर्चा पान की दुकान पर भी लेखन सहयोगी है. जीविकोपार्जन के लिए दिन-रात नोटों के बीच रहते हैं और नोट लेते देते हैं. यानी की बैंक कर्मी हैं.

      बाल कृष्ण अय्यर जी अपने प्रोफाईल पर कुछ इस तरह लिखते हैं.

      बालकृष्ण अय्य्ररiyer b.k1

      मेरे बारे में

      नाट्य लेखन, निर्देशन, अच्छा साहित्य पढ्ना और यात्रायें करना.

      बाल कृष्ण अय्यर जी के द्वारा निर्देशित नाटकों की एक झलक  आप भी देखिये

      प्रथम व्यक्ति का मंचन रायपुर में ....
      रायपुर के मुक्ताकाशी मंच पर  हम लोगों  ने प्रथम व्यक्ति का मंचन किया , छत्तीसगढ़ आर्ट्स एंड थियेट्रिकल सोसाइटी  संस्था  के गठन के बाद  ये हमारा पहला  प्रयास था, छत्तीसगढ़ के दुर्ग  शहर  में  नाटक से सम्बंधित गतिविधियाँ  कम ही है, ज्यादातर  नाटक भिलाई में ही होते है. दुर्ग में नाटकों का माहौल बनाने का प्रयास जारी है. b.g
      b.g.1
      हमीरपुर की सुबह
      b.g.GAUTAM-SANDHYA3

      बालकृष्ण जी की एक कविता

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      अब देता हुँ चर्चा को विराम-सभी को ललित शर्मा का राम

      शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

      कलम के योद्धा पी.सी.गोदियाल-"चिट्ठाकार चर्चा" (ललित शर्मा)

      उत्तर भारत में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और इसका असर मुंबई तक दिखाई दे रहा है. इस सर्दी से बचने के लिए सियासी दलों ने अपने-अपने अलाव जला रखे हैं और अपने हाथ सेंक रहे हैं कभी किसी को मौका मिलता है तो वो भी अपनी रोटी सेक लेता है. अब टैक्सी चालकों के लिए मराठी होना जरुरी हो गया है. यह तुगलकी फरमान महाराष्ट्र की सरकार ने जारी किया है यह हमारी संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकाओं और संघीय व्यवस्था पर सीधा हमला है. भारत वासी सम्पूर्ण राष्ट्र में कहीं पर भी जीवन यापन कर सकता है. लेकिन यही मुद्दा इन्हें राजनैतिक पोषण दे रहा है. मैं ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज की चिट्ठाकार चर्चा पर..................  
      चिट्ठाकार चर्चा में शामिल हमारे आज के चिट्ठाकार श्री पी.सी.गोदियाल जी हैं.इनका लेखन बहुत ही प्रभावी है. किसी एक मांजे हुए खिलाडी की भांति अपनी कविताओं और लेखों से व्यवस्था पर सीधी चोट करते हैं. इनके लेखन में एक आक्रोश झलकता है, जो सीधा सीधा प्रश्न कर पाठकों से एक संवाद स्थापित करता है. ये अपनी बात खुल कर कहते हैं. इनका यह अंदाज बहुत ही पसंद आता है.मन को भाता है. विचारों का एक अंधड़ जब आता है तो वह सबको उड़ा कर ले जाता है. किसी से भेदभाव किये बिना. चाहे वो कोई भी तुर्रम खां हो. इनके और भी चिट्ठे हैं अंधड़ पर इनकी पहली पोस्ट 8 अगस्त 2008 की दिखाई देती है जिसमे युद्ध बंदी धन सिंग के परिवार की व्यथा का चित्रण है. इन्होने अपने दो ब्लाग अंधड़ पर ही स्थानांतरित कर दिये हैं. इनकी पहाडी बोली का एक ब्लाग Paahdi stuff ! है

      गोदियाल जी अपनी प्रोफाईल पर कुछ इस तरह से लिखते हैं.........

      पी.सी. गोदियाल

      मेरे बारे में

      ऐसा कुछ भी ख़ास है नहीं बताने को, अपने बारे में ! बस, यों समझ लीजिये कि गुमनामी के अंधेरो में ही आधी से अधिक उम्र गुजार दी !हाँ, इतना जरूर कहूँगा अपने बारे में कि सही को सही और गलत को गलत कह पाने की हिम्मत रखता हूँ, चाहे दुनिया इधर से उधर हो जाए ! My humble request is to kindly ignore the typographical errors. My fondest wish is to inspire someone else to write something even better than I have done. Look forward to reciving your creative suggestions.regards, xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx साभार,..................... गोदियाल

      गोदियाल जी की अंधड़ पर पहली पोस्ट, अवलोकन कीजिए

      Friday, August 8, 2008

      धनसिंह- एक युद्धबंदी !

      कुछ समय पहले, जब पंजाब के कश्मीर सिंह, जिंदगी की एक लम्बी जंग लड़कर पैंतीस साल बाद पाकिस्तानी जेल से रिहा होकर भारत लौटे, तो अचानक मेरे मस्तिस्क से धूमिल हो चुकी एक वृद्ध की कुछ तस्बीरे, जो मेरे दिमाग में तकरीबन १२-१५ साल पहले घर कर गई थी, मेरे जहन में फिर से हथोडे की तरह प्रहार करने लगी थी।
      मारे बहुत से रणबांकुरे थे, जो १९६५ और ७१ की लड़ाई में कहीं गुम हो गए थे और जिन्हें हम आज तक नही ढूंड पाए। एक-दो ही ऐंसे खुश नसीब थे, जो पुनः लौटकर घर आ सके, अन्यथा उन बदनसीबो का कौन , जिन्हें हमारी घटिया दर्जे की राजनीति और नौकरशाही ने उनकी भरी जवानी में ही जिंदा दफ़न कर दिया? और जिनके गरीब परिवारों को मात्र एक तक्मा और चंद रूपये पकडाकर हमेशा के लिए चुप करा दिया। इन स्वार्थी लोगो ने हमारे उन रण वाकुरो के उस त्याग और पराक्रम, जिसमे उन्होंने न सिर्फ़ लाहौर तक को अपने कब्जे में ले लिया था, अपितु पूरब और पश्चिम की दोनों सीमाओं पर कुल मिलाकर उनके एक लाख सैनिक अपने कब्जे मे लिए थे, महज सस्ती लोकप्रियता और दुनिया को अपनी दरियादिली दिखाने के लिए पाकिस्तान को वापस कर दिया, मगर अपने गुमशुदा जवानों ( प्रिजनर ऑफ़ वार) की ठीक से खोज ख़बर करना और समझौते के वक्त अदला बदली का सही मापदंड तय करना भी, मुनासिब न समझा ।ऐंसा ही एक बदनसीब था, धनसिंह । सुदूर अल्मोड़ा की पहाडियों का निवासी । तीन बहनो का इकलोता भाई। गरीब परिवार की मजबूरिया और देशप्रेम की भावना उसे १२वीं पास करने के बाद रानीखेत खींच लायी। और वह सेना में भर्ती हो गया। अभी रंगरूटी पास ही की थी कि देश के पूर्वी और पश्चमी मोर्चे पर युद्ध के बादल छा गए। बाग्लादेश की आग पश्चमी मोर्चे पर भी पहुच गई, उसे जम्मू से लगी सीमा के एक मोर्चे पर भेज दिया गया। एक दिन जब उसे सेना की एक टुकडी के साथ दुश्मन की अग्रिम पोजिशन को पता लगाने भेजा गया तो दोनों पक्षों के बीच घमासान युद्ध हुआ, उसके सभी साथी मारे गए, जिनकी लाशें बाद मे सेना को मिल गई, मगर धन सिंह की न तो लाश मिली और न फिर वह लौटकर आया।उस बूढे व्यक्ति की कहानी मुझे बताई कि कैसे इसका बेटा १९७१ की लड़ाई में गुम् हो गया था। और उसके बाद ....................!वृद्ध के दांत भी नही थे, और एक लडखडाती लय-ताल में वह वृद्ध कुछ इस तरह का पहाडी गीत गा रहा था: "त्वे जागदो रैयु धना, डाक की गाड़ी मा, तू किलाई नि आई धना, डाक की गाड़ी मा................................!" ( धन सिंह, मैं तेरा डाक गाड़ी से आने का इंतज़ार कर रहा था, मगर तू अब तक आया क्यो नही ?) ................ यह सब सुनकर मै भी एक गहरे भाव मे कहीं खो सा गया था, मैं बस एक लम्बी साँस लेकर रह गया। उन बूढी आंखो को आख़िर समझाता भी तो किस तरह कि तू अब अपने धना (धन सिंह ) का इंतज़ार छोड़ दे, तेरा धना, अब शायद कभी लौट्कर नही आएगा।

      अद्यतन पोस्ट

      पसंद अपनी-अपनी !
      दास्ताँ-ए-इश्क जब उन्होंने सुनाया,
      अंदाज-ए-बयाँ हमें उनका खूब भाया ,
      बनावटी मुस्कान चेहरे पे ओढ़कर ,
      दर्द, दिल में छुपाना भी पसंद आया !

      अश्क टपके बूँद-बूंद जो नयनों से ,
      वो दिल-दरिया से निकल के आये थे,
      हमें गफलत में रखने को उनका वो,
      प्याज छिलते जाना भी पसंद आया !
      हमें आशियाने पर अपने बिठा कर,
      किचन में तली पकोड़ी जब उन्होंने ,
      सिलबट्टे पे पोदीना-चटनी को पीसते,
      मधुर गीत गुनगुनाना भी पसंद आया !
      प्यार से परोसी जब उन्होंने हमको,
      गरमागरम चाय संग चटनी-पकोड़ी,
      थाली के ऊपर से मक्खी भगाने को,
      उनका वो पल्लू हिलाना भी पसंद आया !

      अद्यतन  Paahdi stuff ! से गढ़वाली भाषा में   

      Sunday, November 22, 2009

      सी बूंद तौं गलोड्यों मा !


      त्वै मेरी बांद, मी बतौण ही पड्लु कि
      आज इथ्गा उदास किलै च तेरु मन,
      सी तरपर ओंस तेरी आंखि छ्न ढोल्णी
      कि तौ गलोड्यों मुंद बूंद सी, बरखैगी छन ।
      मी सी कनी कैकि भी नि छुप्ये सकदीन
      तु ढौक जथा भी तौं तै धोति का पल्लन,
      सी तरपर ओंस तेरी आंखि छ्न ढोल्णी
      कि तौ गलोड्यों मुंद बूंद सी, बरखैगी छन ।
      यु हैंस्दु बुरांस भी तन किलै मुरझायुं
      घाम छैलेगि हो रौली-बौल्यों कु जन,
      सी तरपर ओंस तेरी आंखि छ्न ढोल्णी
      कि तौ गलोड्यों मुंद बूंद सी, बरखैगी छन ।
      आज मी तै यख बिटी अडेथ्ण का बाद
      कब तक रुऔली तु तौं आंखियों तै तन,
      सी तरपर ओंस तेरी आंखि छ्न ढोल्णी
      कि तौ गलोड्यों मुंद बूंद सी, बरखैगी छन ।
      तेरा जाण का बाद, अकेली रालू जब मै
      मी तेरी याद का सुपिना आला कन-कन,
      यी तरपर ओंस जु मेरी आंखी छन ढोल्णी
      दग्ड्या तेरी खुदमा मेरा दिल की बाडुली छन ।

      अब चिट्ठाकार चर्चा को देता हूँ विराम-सभी को ललित शर्मा का राम-राम

      गुरुवार, 21 जनवरी 2010

      युवा सोच युवा ख्यालात-कुलवंत हैप्पी-"चिट्ठाकार चर्चा"(ललित शर्मा)

      मने किताबों में पढ़ा है फिल्मो में देखा की गुलाम होते थे. बर्बर युग में मानवों की नीलामी होती थी, गुलाम खरीदे बेचे जाते थे. उनका निजी सम्पत्ति की तरह उपयोग होता था. दासता का युग अमानवीय कृत्यों से भरा पड़ा है. खैर वह बर्बर कल था लोग असभ्य हे आज के मायने में. लेकिन आज सभ्य कहे जाने वाले आधुनिक काल में खुले आम मानवों की नीलामी हो रही है. खरीदने वाले का मान हो रहा  है और बिकने वाला भी सम्मानित हो रहा है. मित्रों मै आई पी एल में खिलाडियों की खरीदी बिक्री की बात कर रहा हूँ. मै ललित शर्मा आपको ले चलता हूँ आज के "चिट्ठाकार चर्चा" पर,
      आज हम मिलवाते हैं आपको ब्लाग जगत के एक और चिट्ठाकार कुलवंत शर्मा हैप्पी जी से, जो शक्ल-सूरत, बात-चीत, लेखन से एक बेबाक और जिंदादिल इन्सान नजर आते हैं. उनके लेखन में साफ गोई स्पष्ट रूप से नजर आती है. अपनी बात घुमा फिर कर कहने की बजाय सीधे -सपाट तौर पर रखना पसंद करते हैं. ब्लाग जगत में इनका आगमन देखें तो इनकी पहली पोस्ट युवा सोच युवा खयालात पर ३अक्तुबर २००८ को प्रकाशित हुयी है इनके दुसरे ब्लाग खुली खिड़की पर पहली पोस्ट रविवार १५ फरवरी २००९ कि दिखाई पड़ती है. इनका तीसरा ब्लाग ਮੇਰੀ ਜ਼ੁਬਾਨ (मेरी जुबान) पंजाबी भाषा का है जिसमे पहली पोस्ट रविवार 22  मार्च २००९ की दिखाई पड़ती है. इनका फिल्मो का ब्लाग फिल्मी हलचल भी है. अब हम ये देखते हैं कि कुलवंत शर्मा अपने विषय में क्या कहते हैं.

      कुलवंत हैप्पी 


      मेरे बारे में

      मैंने 27 अक्टूबर 1984 को श्री हेमराज शर्मा के घर स्व. श्रीमती कृष्णादेवी की कोख से जन्म लिया। जन्म के वक्त मेरा नाम कुलवंत राय रखा गया, और प्यार का नाम हैप्पी। लेकिन आगे चलकर मैंने दोनों नामों का विलय कर दिया "कुलवंत हैप्पी"। तब हम हरियाणा के छोटे से गाँव दारेआला में रहते थे। इस गांव में मुझे थोड़ी थोड़ी समझ आई। इस गाँव से शहर बठिंडा तक का रास्ता नापा और इस शहर में गुजारे कुछ साल मैंने। शहर से फिर कदम गाँव की ओर चले.लेकिन इस बार गाँव कोई और था. मेरा पुश्तैनी गांव..जहां मेरे दादा परदादा रहा करते थे, जिस गाँव की गलियों खेतों में खेलते हुए मेरे पिता जवान हुए। वो ही गांव जिस गाँव हीरके (मानसा) में मेरी मां दुल्हन बन आई थी। यहां पर मैंने दसवीं कक्षा तक जमकर की पढ़ाई और खेती। इस गांव से फिर पहुंचा, उसी शहर जिसको छोड़ा था, कुछ साल पहले। 27 जुलाई 2000 को दैनिक जागरण के साथ जुड़ा, मगर कमबख्त शहर ने मुझे फिर धक्के मारकर निकाल दिया और मैं पहुंच गया छोटी मुम्बई बोले तो इंदौर। इस यात्रा दौरान दैनिक जागरण, पंजाब केसरी दिल्ली, सीमा संदेश, ताज-ए-बठिंडा हिंदी समाचार पत्रों में काम किया, इसके अलावा सीनियर इंडिया, नैपट्यून पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित हुए और 27 दिसंबर 2006 से वेबदुनिया.कॉम के पंजाबी संस्करण को संवारने में लगा हुआ हूं।

      चलते हैं इनके चिट्ठों की यात्रा पर

      युवा सोच युवा खयालात

      शुक्रवार, ३ अक्तूबर २००८


      कैसे निकलूं घर से...

      रेलवे स्टेशन की तरफ,
      बस स्टैंड की तरफ,
      आफिस की तरफ घर से बाहर की तरफ
      बढ़ते हुए कदम रुक जाते हैं,
      और पलटकर देखता हूं घर को,
      अपने आशियाने को,
      जिसको खून पसीने की कमाई से बनाया है,
      जिसमें आकर मुझे सकून मिलता है,
      सोचता हूं,

      खुली खिड़की

      रविवार, १५ फरवरी २००९


      शनिवार को वेलेंटाइनज डे था, हिन्दी में कहें तो प्यार को प्रकट करने का दिन. मुझे पता नहीं आप सब का ये दिन कैसा गुजरा,लेकिन दोस्तों मेरे लिए ये दिन एक यादगार बन गया. रात के दस साढ़े दस बजे होंगे, जब मैं और मेरी पत्नी बहार से खाना खाकर घर लौटे, उसने मजाक करते हुए कहा कि क्या बच्चा चाकलेट खाएगा, मैं भी मूड में था, हां हां क्यों नहीं, बच्चा चाकलेट खाएगा. वो फिर अपनी बात को दोहराते हुए बोली 'क्या बच्चा चाकलेट खाएगा ?', मैंने भी बच्चे की तरह मुस्कराते हुए शर्माते हुए सिर हिलाकर हां कहा, तो उसने अपना पर्स खोला और एक पैकेट मुझे थमा दिया

      फिल्मी हलचल

      Thursday, June 5, 2008


      छोटे आसमां पर बड़े सितारे

      शाहरुख खान छोटे पर्दे से बड़े पर्दे पर जाकर बालीवुड का किंग बन गया एवं राजीव खंडेलवाल आपनी अगली फिल्म 'आमिर' से बड़े पर्दे पर कदम रखने जा रहा है, मगर वहीं लगता है कि बड़े पर्दे के सफल सितारे अब छोटे पर्दे पर धाक जमाने की ठान चुके हैं। इस बात का अंदाजा तो शाहरुख खान की छोटे पर्दे पर वापसी से ही लगाया जा सकता था, मगर अब तो सलमान खान एवं ऋतिक रोशन भी छोटे पर्दे पर दस्तक देने जा रहे हैं. इतना ही नहीं पुराने समय के भी हिट स्टार छोटे पर्दे पर जलवे दिखा रहे हैं, जिनमें शत्रुघन सिन्हा एवं विनोद खन्ना प्रमुख है.
       
      ਮੇਰੀ ਜ਼ੁਬਾਨ
      Sunday, March 22, 2009

      ਭਗਤ ਸਿਆਂ ਤੇਰੇ ਵਰਗੇ

      ਕਿਸੇ ਸੱਚ ਆਖਿਆ ਹੈ,
      ਨੀ ਜੰਮਣੇ ਪੁੱਤ ਭਗਤ ਸਿਆਂ ਤੇਰੇ ਵਰਗੇ

      ਸਦਕੇ ਜਾਵਾਂ ਤੇਰੇ ਓਏ ਪੰਜਾਬੀ ਸ਼ੇਰਾ
      ਜਿਸਨੇ ਖਤਮ ਕੀਤਾ ਫਰੰਗੀ ਡੇਰਾ .

      इनकी अद्यतन पोस्ट 

      बुधवार, २० जनवरी २०१०


      बसंत पंचमी के बहाने कुछ बातें


      चारों ओर कोहरा ही कोहरा...एक कदम दूर खड़े व्यक्ति का चेहरा न पहचाना जाए इतना कोहरा। ठंड बाप रे बाप, रजाई और बंद कमरों में भी शरीर काँपता जाए। फिर भी सुबह के चार बजे हर दिशा से आवाजें आनी शुरू हो जाती..मानो सूर्य निकल आया हो और ठंड व कोहरा डरे हुए कुत्ते की तरह पूंछ टाँगों में लिए हुए भाग गया हो। कुछ ऐसा ही जोश होता

      अब देते हैं चिठाकार चर्चा को विराम-आपको ललित शर्मा का राम-राम

      बुधवार, 20 जनवरी 2010

      राहुल प्रताप सिंग राठौड़"चिट्ठाकार चर्चा "-में(ललित शर्मा)

      ज बसंत पंचमी है और बसंत ॠतु के आगमन के साथ धरती का रंग-रुप भी परिवर्तित दिखाई देने लगता है। सरसों के पीले फ़ुल जब पुरी धरती को ढक लेते हैं तो धरती पीले वस्त्रों मे लिपटी नव वधु सी प्रतीत होती है। बसंत पर्व को मदनोत्सव के रुप मे भी मनाया जाता है, बसंत ॠतु मे समाई अनेक प्रकार की विशेषताओं ने इसे "ॠतुराज" का ताज पहनाया है। मै ललित शर्मा आप सभी को बसंत पंचमी पर्व की बधाई देता हुँ अब चलते हैं अपने काम यानी चिट्ठाकार चर्चा पर।
      हमारी आज की चर्चा मे शामिल है खांटी युवा चिट्ठाकार राहुल प्रताप सिंह राठौड़, ये विद्यार्थी हैं और TechTOUCH टेक टच नामक हिंदी तकनीकि चिट्ठा चलाते है।अंतर जाल सम्बंधी तथा कम्प्युटर तकनीकि ज्ञान से परिचित कराते रहते है। चिट्ठाकारों के लिए तकनीकि ज्ञान भी अत्यावश्यक है। इसके आभाव मे हमें काफ़ी नुकसान उठाना पड़ता है। तकनीकि जानकार के चिट्ठों से मिली जानकारी से हम तकनीकि ज्ञान प्राप्त करके अपना ज्ञान बढा सकते हैं जिससे ईंटर नेट और कम्प्युटर पर काम करना आसान हो जाता है। इनके अन्य चिट्ठे है फन की बस्ती , इस चिट्ठे पर ये शुक्रवार 17 अक्तुबर 2008 से अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं।जरा मेरी भी सुनिए इनका अन्य चिट्ठा है इसपर नवम्बर 2008 से उपस्थित है। ज्ञानांजलि नामक चिट्ठे पर 1 नवम्बर 2008 से उपस्थित हैं। 999 पर 30 सितम्बर 2009से उपस्थित है तथा यह चिट्ठा आंग्ल भाषा का है। चिट्ठाकार चर्चा मे हम इनका स्वागत करते हैं।

      इन्होने अपने विषय मे ब्लाग प्रोफ़ाईल पर निम्न जानकारी उपलब्ध कराई है।

      राहुल प्रताप सिंह राठौड़


      मेरे बारे में

      मैं उत्तर प्रदेश के एटा जिले के खरसुलिया गाँव का रहने वाला हूँ ! फिलहाल दिल्ली से बीसीए कर रहा हूँ ! और आईटी से जुडी हुई जानकारी पढ़ना अच्छा लगता है ! ब्लोगिंग मेरा शौक है !

      कुछ चिट्ठों से इनकी पहली पोस्ट के अंश पढिए

      Sunday, April 19, 2009 TechTOUCH



      दोस्तों कमाल की है माइक्रोसॉफ्ट की 'स्काईड्राइव' सुविधा ! इसके तहत आपको 25 जीबी मेमोरी स्टोर करने की सुविधा फ्री में मिल रही है ! अगर आपकी हार्ड डिस्क कम है, और आप ज्यादा से ज्यादा फाइल, मूवीज, स्टोर करने के शौकीन है ,तो आप इस सुविधा का लाभ जरूर उठाये ! कई और मायनों में भी यह काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है , जैसे :
      १) आपको अपने डाटा को खोने का डर नहीं रहेगा, अगर कभी दुर्घटनावश आपका पीसी पूरा फॉर्मेट हो जाता है तो भी आपका 'स्काईड्राइव' वाला डाटा सुरिक्षत रहेगा |
      २) ऑनलाइन स्ट्रोरेज सुविधा में 'स्काईड्राइव' अकेला नाम नहीं है, कई और भी है जैसे : एड्राइव, लायनड्राइव, मोजी, एक्सड्राइव आदि , पर जैसे की विश्वास की बात है तो माइक्रोसॉफ्ट सबसे आगे है | क्यूंकि पिछले दिनों में कई इसी प्रकार की सेवाए बंद भी हुई है |
       जरा मेरी भी सुनिए
      दोस्तों आज में ब्लॉग के जरिये कुछ नया करने की कोशिश करनेजा रहा हूँ मैं अपने ब्लॉग के जरिये आपके लिए जनरल नोलेज की जानकारियों से भरपूर श्रंखला चलाने जा रहा हूँ जोकि मेरे अनुसार प्रतियोगी परीक्षायों की तैयारी कर रहे , हमारे दोस्तों के लिए कुछ हद तक तो मदद जरूर करेगा मैं अपनी क्षमता के अनुसार पूरी कोशिश करूंगा की ज्यादा से ज्यादा और लाभदायक जानकारी आपके लिए जुटा सकूं
      आप सभी लोगो की भागीदारी से ही मेरा यह प्रयास सफल रहेगा आपको मेरे ब्लॉग में कमेन्ट के जरिये मेरी हौसलाअफजाई कर सकते है
      ये श्रंखला मैं आप सभी के लिए कल से ला रहा हूँ .........

      Nov 1, 2008

      कल..... मायावती सरकार ने उप्र में कछा एक से अंग्रेजी की पढाई चालू करके, सरकारी स्कूलों में कुछ नई जान फूकने का काम जरूर किया है लेकिन उन्हें स्कूलों की जमीनी हालत भी देखने होंगे जैसे टीचरों की संख्या, टीचरों की उपस्थिति ,स्कूल के पास मौजूद रिसोर्सेस वैसे आप लोगों को पता ही होगा की सरकारी स्कूलों की हालत के बारे में जनता में क्या राय बन चुकी है पहले लोगों के अन्दर से ये भावना निकालने की जरूरत है कि सरकारी स्कूलों में तो बच्चे अच्छे नम्बर ला ही नही सकतेइसके मायावती ही नही केन्द्र सरकार को भी अच्छे टीचर जुटाने के लिए भर्ती प्रकिया को पारदर्शी बनाना पड़ेगा क्यों आपका क्या कहना है ..... प्लीज़ बताये

      999 first post

      Hi friends, Here i started a new blog name "999" .why 999? because today is 09.09.09.So i want to start an new blog for you. Here You can find Hindi songs free, Hindi Movies free, Hindi SMS,Shayari, Cricket scoreboard, E-books,Jokes,Software,Tips & Tricks,Hindi movies dialouges,Biography of Indian Celebraties,Wallpapers,screen saver and much more.

      These are fully free. "Everything free 4 u" is the tagline of my blog. So friends let us start fun & enjoy.

      इनकी अद्यतन पोस्ट टेक टच पर

      आपके नाम का मतलब क्या है ?? नहीं पता ? तो आईये जाने .....(वेब-साईट जो आपके नाम का अर्थ बताएगी )



      एक पोस्ट में मैंने बताया था कि कैसे आप यह जान सके कि आपके जन्म-तिथि पर दुनिया में क्या घटित हो रहा था | अब यहाँ मैं एक ऐसी साईट जिसका नाम है बिहाइन्ड द नेम (BehindtheName),  बताने जा रहा हूँ, जिससे कि आप अपने नाम का अर्थ जान सकते है | या फिर जब कोई नन्हा मेहमान आपके आँगन में आता है , कोई बढ़िया सा नाम ढूढने की जुगत में सभी लोग लग जाते है | पर आपकी ढूढने का तरीका कुछ अलग होना चाहिए न ?
      मै राहुल प्रताप राठौड़ के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए सभी पाठकों को पुन: बसंत पंचमी की शुभकामनाएं देते हुए,
      आज की चिटठाकार चर्चा को देता हुँ विराम-सभी को ललित शर्मा का राम-राम

      मंगलवार, 19 जनवरी 2010

      क्रांति दूत-अरविन्द झा "चिट्ठाकार चर्चा"( ललित शर्मा )

      कल हमने चिट्ठाकार चर्चा प्रारंभ की है. इसका उद्देश्य हमने आपके सामने रखा और इसे पाठकों का भरपूर आशीष प्राप्त हुआ. नए चिट्ठाकारों के साथ जो चिट्ठाकार साथी ब्लाग जगत को निरंतर अपने उत्कृष्ट लेखन से समृद्ध कर रहे है. उनके विषय में भी चर्चा की जाएगी. जिन चिट्ठाकारों की प्रोफाईल संदिग्ध है. उनकी चर्चा करने से मै बचना चाहूँगा, इसमें नए पुराने का कोई भेद नहीं है. व्यस्तता के कारण चिट्ठाकार चर्चा प्रतिदिन होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है. इसलिए इसे सप्ताह में दो या तीन दिन करने का विचार है.

      मै ललित शर्मा आज की चर्चा में शामिल चिट्ठाकार  अरविन्द झा जी. से आपकी एक मुलाकात कराता हूँ  इनका चिटठा क्रांति दूत सितम्बर माह में ब्लाग जगत में आया है.  गद्य और कविता के माध्यम से सामाजिक सरोकारों से जुडी समस्यों पर अपनी लेखनी से प्रहार करते हैं. इनकी कहानियां भी चिट्ठे पर नजर आती है. जिसमे प्रतीकों के माध्यम से सामाजिक विकृतियों को प्रस्तुत करते हैं. अब हम अरविंद झा जी की व्यक्तिगत जानकारियों पर चलते है. 



      अरविन्द  झा 


      इन्होने प्रथम पोस्ट पर प्रकाशन दिनांक नहीं है. लेकिन दूसरी पोस्ट Monday, October 5, 2009 का  दिन और दिनांक  बता रही है. पढ़िए अरविंद झा जी की पहली पोस्ट.
      ईशारा

      ये मौत भी,
      मेरे ही ईशारों पर हुई है.
      छल किया था,
      धोखा दिया था उसने.
      मैने उसे समझाया,
      चेतावनी दिया,
      अपनी गलतियों से बाज आए.
      बहुत उपर तक पहुंच है मेरी.
      एक अद्रुश्य शक्ति के समक्ष,
      जो स्रुष्टि का निर्माता भी है
      और चलाता भी है.
      मैने क्षमा न करने
      और न्याय पाने की
      मौन स्वीक्रुति दे दी.
      ये मौत भी,
      मेरे ही ईशारों पर हुई है.

      इन्होने जंगल राज नामक एक कहानी प्रकाशित की है.उस पर भी दृष्टिपात करते हैं.

      जंगल-राज

      जंगल-राज
      प्रजातंत्र हो जाने के बाद यहां जंगल मे भी राज चलाना काफ़ी कठिन हो गया है.उपर से राजनीति भी जोरों पर है.अभी हाल ही मे आम चुनाव हुए थे जिसमे शेर की पार्टी ने हाथी के दल को पटखनी दी और पुर्ण बहुमत लेकर सत्तासीन हुई.लम्बे-चौडे वादे किये गये.भेडों-बकडों के समुह को यह कहकर वोट मांगा गया कि शेर अब उसका शिकार नही करेंगे.मछलियों से वादा किया गया कि मगरमच्छों से उनकी रक्षा की जायेगी.छोटे-छोटे जानवरों को विश्वास दिलाय गया कि सस्ते दरों पर उन्हे चारा उपलब्ध कराये जायेंगे.किसी भी पशु-पक्षी को बेरोजगार नही रहने दिया जायेगा और सारे फ़ैसले जानवरों के हितों को ध्यान मे रखकर लिया जायेगा.हाथी के दल ने भी कुछ मिलते-जुलते वादे ही किये थे लेकिन अंततः पशुमत शेर की पार्टी के पक्ष मे रहा.हाथी को विपक्ष का नेता चुना गया और शेर की सरकार बनी.सियारों को प्रमुख मन्त्रालय दिये गये----क्योंकि चुनाव के दौरान उन्ही की ब्युहरचना और लिखे गये भाषण काम आये थे.

      रात के बारह बज चुके थे.काम करते करते शेर थक चुका था.वह बहुत भूखा था.मिडियावालों के साथ यह कहते हुए वह खाना नही खाय था कि उसने मांसाहार छोड दिया है.दिन के सर्वदलीय भोज मे पनीर की सब्जी जो उसे पसन्द नही है,यह बहान बनाकर नही खाया था कि आज उसे उपवास है.राजनीति का मतलब यह नही होत कि राज करनेवाला भूखा रहे और बांकी सभी मौज करें.उसे सियारों की यह राजनीति पसंद नही आयी.तभी एक सियार शेर के पास आया और भोजन-गृह मे पधारने का अनुरोध किया.सभी जानवर अपने-अपने घरों मे चले गये.शेर का भोजन-गृह जो कि एक अंधेरी गुफ़ा की तरह था-मे शेर प्रवेश कर गया.गुफ़ा मे घुसते ही स्वादिष्ट खाने का गंध उसकी नाक तक पहुंचने लगा.डरी हुई कई छोटी-छोटी निरीह आंखे अंधेरी गुफ़ा मे भी चमक रही थी.शेर मुस्कुराने लगा---अब उसे राजनीति अच्छा लगने लगा था. 


      पुरी कहानी पढ़ने के लिए ब्लॉग पर जाएँ.

      अब चिट्ठाकार चर्चा को मै देता हूँ विराम-आप सभी को ललित शर्मा का राम-राम

      सोमवार, 18 जनवरी 2010

      मिलिए चिट्ठाकार सूर्यकान्त गुप्ता जी से

      मित्रों चिटठा परिवार में नित नए सदस्यों का आगमन हो रहा है. जब परिवार में कोई नया सदस्य जुड़ता है तो उसके विषय में जानने की अभिलाषा भी हमारे मन में होती है और उसे भी आशा होती है कि चिटठा परिवार से परिचय हो. कई दिनों से ये बात मेरे मन में थी कि  चिटठा परिवार के नए सदस्य का हम ह्रदय से स्वागत करें. तथा उसके विषय में कुछ जाने. कई आज भी ऐसे कई चिट्ठाकार और चिट्ठे हैं जिनके विषय में हम बहुत कम जानते हैं. इसी कमी को पूरा करने के लिए के लिए चिटठाकार चर्चा नामक मंच का उदय हुआ है. हम मिलवायेंगे आपको प्रतिदिन एक चिट्ठाकार से. आशा है कि आपका प्यार और आशीर्वाद हमें मिलता रहेगा.

      आज हम एक प्रतिभाशाली चिट्ठाकार से आपको मिलवाते हैं तथा उनके विषय में प्रारंभिक जानकारी देते हैं. ये  हैं हमारे सूर्यकान्त गुप्ता जी को नया तो नहीं कहा जा सकता वे ब्लॉग जगत में जनवरी २००९ में आए थे लेकिन सक्रीय रूप से ब्लाग लेखन दो माह पूर्व ही प्रारंभ किया है. आप  हंसमुख स्वभाव के मिलनसार व्यक्ति हैं. अपने मन में उमड़ते-घुमड़ते विचारों को बिना किसी लगा लपेट के अपने ब्लाग "उमड़त-घुमड़त विचार" पर व्यक्त करते हैं. हिंदी और छत्तीसगढ़ी दोनों भाषाओँ में लिखते हैं. बड़ी सहजता से कम शब्दों में बिना किसी विद्वता का बघार दिये अपनी बात कहते हैं. इनका लेखन पाठकों का ध्यानाकर्षण करता है.इनका एक ब्लाग "दैनिक रेल यात्री का सफरनामा" भी है."उमड़त-घुमड़त विचार" पर आज इनकी पचासवीं पोस्ट है. हम इनको हार्दिक बधाई देते हैं.


      सूर्यकान्त गुप्ता


      मेरे बारे में

      मै केंद्रीय उत्पाद एवं सेवा शुल्क विभाग में निरीक्षक के पद पर कार्यरत. ननिहाल में पढ़ा बढ़ा, माता शैशवावस्था में ही व पिता मेरी माध्यमिक शिक्षा के दौरान दिवंगत नानी, व दोनों मामियों के आंचल में पला, नानाजी व दोनों मामाजी के स्नेह में, उनकी छात्र छाया में पढ़ा बढ़ा और इस मुकाम तक पहुंचा.

      सूर्यकांत गुप्ता जी की पहली पोस्ट  

      बुधवार, १४ जनवरी २००९


      सूक्तियां जीवन में कितनी अनुकर्णीय


      सूक्तियां जीवन में कितनी अनुकर्णीय
      श्री राम चरित मानस गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित एक महाकाव्य जिसके माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जीवनी उनके पूर्वज से लेकर उनकी अगली पीढी का वर्णन इस महाकाव्य के सात कांडों/सोपानों में वर्णित कर आज के युग में उनके आदर्शों पर चलने की शिक्षा दी गई है, इस महाकाव्य में गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा मानव की महिमा का बखान इस तरह किया गया है;'बड़े भाग मानुष तन पावा' क्यों?मानव ही ऐसा प्राणी है जिसमे बुद्धि व विवेक दोनों होता है। बुद्धि तो इस जगत के सभी प्राणियों में है। यह अलग बात है की आज का मानव अपनी अनंत अभिलाषाओं की पूर्ति के चक्कर में अपना विवेक ग़लत रास्ते पर दौडाने लगा है। परिणाम तनाव उत्कंठा व अनेक व्याधियों को निमंत्रण। ऐसी स्थिति में हम क्षण भर ऐसा साहित्य ऐसी किताबें ऐसा शास्त्र पढ़ें जो पग पग में हमें जीवन जीने की कला से परिचित करावे। उनमे उद्धृत सूक्तियों को गांठ बाँध कर जतन लें और वक्त बेवक्त उन सूक्तियों को याद कर अपनी जीवन शैली में सुधार ले आयें तो कितना अच्छा होगा। इसी उद्देश्य के साथ कुछ सूक्तियों का उद्धरण यहाँ प्रस्तुत है।

      १ हमेशा भाग्य के धागों को कौन देख सकता है? क्षण भर के लिए हितकारी अवसर आता है हम उसे खो देतेहैं।
      २ सहानुभूति एक विश्वव्यापी भाषा है जिसे सभी प्राणी समझते हैं।
      ३ आलोचना रूपी वृक्ष फल और कीड़े दोनों को ही अलग कर देता है।
      ४ शत्रु केवल देह पर आघात करता है किंतु स्वजन ह्रदय पर।
      ५ प्रत्येक पत्थर कुछ बनना चाहता है औरवह अपने आपको प्रसन्नता से उन हाथों में सौंप देता है जिनमें छेनी हथौड़ी रहती है।
      ६ न अतीत के पीछे दौड़ो और न ही भविष्य की चिंता में पडो, क्योंकि अतीत है वह तो नष्ट हो गया है और भविष्य अभी आया नही है।

      यह प्रयास आपको कैसा लगा बताएं. आपका स्नेह मेरा मार्गदर्शन करेगा।