इनकी प्रथम पोस्ट चित्रों से भरी हुयी है-आप भी देखिए(रास्ते से बर्फ़ सफ़ाई)
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बर्फ जब पड़ती है तो दूर-दूर तक कुछ ऐसे चमक बिखरती है हर तरफ़ झक सफ़ेद।
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हमाले खेत की मूली-आईए खाईए
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इनकी अद्यतन पोस्ट मे त्योहारों की जानकारीआप सबको 2010 हालडा,लोसर व खोगल की शुभकामनाएँ लोसर, हालडा या खोगल लाहुल में सर्दियों में मनाया जाने वाला वर्ष का पहला पर्व या उत्सव है. इस आयोजन के बाद सर्दी खत्म होते तक अलग-अलग गाँव में अलग-अलग उत्सवों का दौर शुरू हो जाता है. लाहुल-स्पीति क्षेत्रफल के लिहाज से हिमाचल का सबसे बड़ा जिला है लेकिन आबादी सबसे कम (दो व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर). भाषा व बोलियों की विविधता के साथ सांस्कृतिक विविधता के बीच कुछ आयोजन ऐसे हैं जो पूरे लाहुल का सांझा आयोजन है. हालडा पर्व उन्ही में एक है. बौद्ध व हिन्दू आबादी वाले इस जिले में गाहर, पट्टन (चंग्सा, लोकसा,स्वान्गला/रेऊफा), तिनन, तोद, रंगलो, पतनम (म्याड), पिति (स्पीति), पंगवाली ( तिंदी), चिनाली व लोहार की भाषा-बोलियाँ हैं. तोद, रंगलो, पतनम (म्याड), पिति (स्पीति) की भाषा में समानता है,चंग्सा, लोकसा,स्वान्गला/रेऊफा बोली एक जैसे है, कुछ शब्दों को छोड़ दें तो फर्क सिर्फ लहजे व उच्चारण का है. भागा नदी के किनारे बसने वाली गाहर व तोद एक दुसरे के करीब होते हुए भी भाषा व बोली की दृष्टि से जुड़े नहीं हैं. चंद्रा नदी के किनारे की तिनन की आबादी रंगलो से अलग है. चंद्रा-भागा (चिनाब) के दोनों और पट्टन (चंग्सा, लोकसा,स्वान्गला/रेऊफा) की बोली में बहुत अधिक समानता है. लहजे व उच्चारण से अनुमान लग जाता है कि किस क्षेत्र से सम्बन्धित है
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13 टिप्पणियाँ:
चलिये, इसी तरह मुलाकात हुई...जाते हैं उनके ब्लॉग पर. :)
आप वह काम कर रहे हैं जो आज हिन्दी ब्लॉगरी की महती आवश्यकता है। आप के इस तप को नमन।... मूछों में दम है !
मूलियाँ तो वाकई जबरदस्त हैं, एक तो मानव आकार मुद्रा सी लग रही है।
आप ने एक अनोखे ब्लागर से मिलवाया। उन के यहाँ बहुत नई जानकारियाँ हैं। आभार!
अद्भुत है लाहुल और लाहुली की दुनिया.
शुक्रिया.
नये पुराने साथियों से मिलवाने का आपका काम सराहनीय है!
बहुत उम्दा प्रयत्न है।
बहुत अच्छा लगा इनसे मिलकर, आपका आभरा एक बार फिर से ।
आप मूलियां कह रहे हैं
मुझे तो सफेद मूंगफलियां दिखलाई दे रही हैं।
धन्यवाद ललित जी, मुझे व मेरी 'दुनिया' को जोड़ने के लिए. आभार प्रकट करता हूँ आप के ब्लॉग से मेरी दुनिया की नई खिड़की खुली है. आप ने मुझे उत्साहित व प्रेरित किया है. आप सभी का आभार. आगे भी इस दुनिया के अलग-अलग रंगों के साथ हाज़िर होता रहूँगा. आभार सहित.
ललित जी!
अजय लाहुली जी से निलवाने के लिए आपका शुक्रिया!
अब इनके ब्लॉग पर भी जाते रहेंगे!
लाहुली -शुक्रिया !
shaan daar. ज़्यादा कहूँ तो , आप कहेंगे अपने भाई की तारीफ कर रहा है. ढेर सारी शुभ कामनाएं.
ललित जी आज लग रहा है कि प्रयास रंग ला रहा है , आपके माध्यम से एक संजीदा ब्लोग्गर के खूबसूरत ब्लोग से परिचय हो गया , मेरे हमनाम एक और अजय जी से मुलाकात अच्छी लगी,आपका बहुत बहुत आभार
अजय कुमार झा
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